Faridabad/FCN24 News : सीआईए ने आरटीआई एक्टिविस्ट वरुण श्योकंद को गिरफ्तार कर लिया है। उन पर मुजेसर थाने में एक एफआईआर दर्ज है। उन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक ठेका लेने का आरोप है। वरुण श्योकंद शहर में आरटीआई एक्टिविस्ट के नाम से मशहूर हैं। उन्होंने कई बड़े घोटालों को उजागर किया है।

कुछ लोग उन्हें सबक सिखाने की फिराक में बताए जाते हैं। पिछले दिनों समाचार आया कि वरुण श्योकंद पर मुजेसर थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई है। इसके बाद वरुण श्योकंद भूमिगत हो गए। सूत्रों का कहना है कि वरुण श्योकंद अपनी अग्रिम जमानत करवाने के लिए प्रयासरत थे। वरुण श्योकंद इसी सिलसिले में चंडीगढ़ गए हुए थे।

फरीदाबाद पुलिस को वरुण श्योकंद के चंडीगढ़ में होने के इनपुट मिले। यहां की सीआईए की एक टीम चंडीगढ़ रवाना हो गई। इनपुट के मुताबिक सीआईए ने वरुण श्योकंद को वहां हिरासत में ले लिया। वरुण श्योकंद को अब फरीदाबाद लाकर कोर्ट में पेश किया जाएगा। स्थानीय कोर्ट में पुलिस उनका रिमांड हासिल करने का प्रयास करेगी।

यह है एफआईआर
थाना मुजेसर में वरुण शिवकंद पुत्र रणधीर सिंह निवासी 1157 सेक्टर 9 के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 के तहत एफआईआर नंबर 284 दर्ज किया है। इस एफआईआर रेवाड़ी और मुजेसर के बिजली निगम के अतिरिक्त एक्सईएन कंस्ट्रक्शन बीके रंजन ने दर्ज करवाया है।

बीके रंजन ने अपनी शिकायत में कहा है कि बिजली विभाग में सुधार कार्य के लिए वर्ष 2011 में टैंडर आमंत्रित किए गए थे। अन्य ठेकेदारों के साथ वरुण श्योकंद ने अपनी फर्म एमएस श्योकंद इलेक्ट्रिकल्स के नाम से इस टैंडर प्रक्रिया में भाग लिया था। वरुण श्योकंद ने उस वक्त तकनीक और वित्तीय मजबूती के जरूरी दस्तावेज भी साथ लगाए थे।

सबसे कम बोली लगने के चलते वह कार्य उन्हें अलाट कर दिए गए। कुल 11 वर्क आर्डर श्योकंद की फर्म को अलाट किये गए। वर्क आर्डर में 73, 39, 436 व 362867 क्रमश: माल आपूर्ति व निर्माण के लिए एलओए जारी कर 90 डीएईएस के भीतर काम पूरा करने का समय निश्चित था।

श्योकंद ने इन टैंडरों को हासिल करने के लिए जो दस्तावेज साथ लगाए थे, जिसमें वित्तीय व तकनीकी दोनों थे। जांच के दैरान ये दस्तावेज फर्जी पाए गए। शिकायतकर्ता ने एफआईआर में कहा है कि जब ये दस्तावेज टैंडर के समय साथ लगाए गए थे, तब श्योकंद को अच्छी तरह से मालूम था कि वो फर्जी हैं और वह बोली प्रक्रिया में भाग लेने का हकदार नहीं है। इसके बावजूद उसने फर्जी दस्तावेज के आधार पर टैंडर हासिल कर लिया।