FCN24News. ब्यूरो हिंद महासागर के नीचे मौजूद विशाल टेक्टोनिक प्लेट टूटने जा रही है। एक रिसर्च के मुताबिक, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच की टेक्टोनिक प्लेट आने वाले समय में खुद-ब-खुद दो हिस्सों में विभाजित हो जाएगी। हालांकि इस प्लेट के टूटने का असर इंसानों पर लंबे समय के बाद नजर आएगा। इसे भारत-ऑस्ट्रेलिया-कैपरीकॉर्न टेक्टोनिक प्लेट के रूप में भी जाना जाता है।

यह प्लेट काफी धीरे-धीरे अलग हो रही हैं, यानी एक साल में यह प्लेटट 0.06 इंच (1.7 मिलीमिटर) ही अलग हो रही है। लाइवसाइंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्टडी के रिसर्चर ऑरेली कॉड्यूरियर ने कहा है कि, यह एक संरचना नहीं है, जो तेजी से आगे बढ़ रही है लेकिन यह भी बाकी कि ग्रह सीमाओं की तरह ही महत्वपूर्ण है।

यह प्लेट इतनी धीरे-धीरे अलग हो रही है कि शुरुआत में रिसर्चर यह पता ही नहीं लगा पाए कि टेक्टोनिकल प्लेट अलग हो रही है। हालांकि, हिन्‍द महासागर में एक अजीब जगह में उत्पन्न होने वाले दो मजबूत भूकंप आने के बाद रिसर्चर्स को अंदाजा हुआ कि पानी के नीचे कुछ हलचल हो रही है।

भूकंप टेक्टोनिक प्लेट के आसपास नहीं थे, बल्कि एक अलग जगह से आए थे जो इस प्लेट के बीच में कहीं हैं। ऑरली ने कहा यह एक पहेली की तरह है। तीन प्लेटें हैं जो एक साथ जुड़ी हुई हैं और एक ही दिशा में आगे बढ़ रही हैं। प्लेट में यह टूटन समुद्र में भूकंप के कारण नहीं, बल्कि अन्य कारणों से हुई है।

हिंद महासागर में प्लेट काफी धीमी गति से टूट रही है और पानी में इसकी गहराई काफी ज्यादा है। शोधकर्ता शुरुआत में पानी के नीचे हो रही इस घटना को समझ नहीं पा रहे थे। हालांकि, जब दो मजबूत भूकंपों का उद्गम स्थल हिंद महासागर निकला तो शोधार्थियों को अंदाजा हुआ कि पानी के नीचे कुछ हलचल हो रही है।

ये भूकंप हिंद महासागर में इंडोनेशिया के पास 11 अप्रैल, 2012 को 8.6 और 8.2 तीव्रता से आए थे। ये भूकंप असामान्य थे क्योंकि ये हमेशा की तरह सबडक्शन जोन में नहीं आए जहां टेक्टोनिक प्लेट्स खिसकती हैं बल्कि टेक्टोनिक प्लेट के बिल्कुल बीचो बीच से आए थे।साल 2015 और 2016 दो तरह के डेटासेट इस जोन की स्थलाकृति के बारे में खुलासा करते हैं। ऑरली और उनकी टीम को ये डेटासेट देखने के बाद ही पता चला कि हिंद महासागर के नीचे टेक्टोनिक प्लेट टूट रही है।

ऑरली ने लाइव साइंस को बताया कि यह घटना किसी पहेली जैसी है जहां केवल एक प्लेट नहीं है बल्कि तीन प्लेट्स आपस में जुड़कर एक ही दिशा में आगे बढ़ रही हैं। टीम अब उस वॉरटन बेसिन नाम के विशेष फ्रैक्चर जोन पर ध्यान दे रही है जहां ये भूकंप आए थे।

इस बारे में लाइवसाइंस से बात करते हुए ऑरेली कॉड्यूरियर ने कहा कि 'यह एक पहेली की तरह है क्योंकि यह कोई समान प्लेट नहीं है बल्कि तीन प्लेंटे हैं, जो एक साथ जुड़ी हुई हैं और एक ही दिशा में आगे बढ़ रही हैं।'

कॉड्यूरियर-कर्वूर ने उल्लेख किया है कि फ्रैक्चर जोन, समुद्री क्रस्ट में भूकंप के कारण नहीं बना है, बल्कि, ये तथाकथित निष्क्रिय दरारें, पृथ्वी कर्वेचर की वजह से हुई हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इन प्‍लेटों को अलग होने में दसियों लाखों साल लगेंगे। बता दें कि यह स्‍टडी जियोफिज‍िकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में 11 मार्च को प्रकाशित हुई है।


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