हरक्यूलिस पांडेय | FCN24News |
देश की शीर्ष अदालत ने निजी स्कूलों को वार्षिक फीस में कम से कम 15 फीसदी की कटौती करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सत्र 2019-20 के लिए स्कूल नियम के अनुसार पूरी फीस ले सकते हैं। लेकिन शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए उन्हें अपनी फीस कम से कम 15 फीसदी कम करनी होगी। स्कूल चाहें तो इससे ज्यादा छूट भी दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी 2021 के अपने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि स्टूडेंट्स को 04 अगस्त 2021 तक 6 बराबर मासिक किश्तों में बकाया फीस जमा करनी होगी। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने इसमें भी स्टूडेंट्स को राहत दी है। कहा है कि अगर कोई स्टूडेंट तय समय सीमा के अंदर फीस जमा नहीं कर पाता है, तो स्कूल उसे ऑनलाइन या ऑफलाइन कोई भी क्लास करने से रोक नहीं सकते। न ही ऐसे स्टूडेंट्स के रिजल्ट्स रोके जाएंगे।
दिल्ली सरकार ने कहा- लाखों स्टूडेंट्स होंगे प्रभावित
दिल्ली सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह पेश हुए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का हमारा इरादा नहीं है। विकास सिंह ने दलील दी कि लाखों स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स का सवाल है, वे इससे प्रभावित हो रहे हैं। दिल्ली सरकार को फीस रेगुलेट करने का अधिकार है, ऐसे में हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपकी दलील को अस्वीकार कर रहे हैं, लेकिन हाई कोर्ट के डबल बेंच में दिल्ली सरकार की जो याचिका है उसकी सुनवाई पर इस फैसले का असर नहीं होगा, क्योंकि यहां मेरिट पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।
हाई कोर्ट की डबल बेंच 12 जुलाई को मामले की सुनवाई करने जा रही है, ऐसे में याचिकाकर्ताओं के लिए हाई कोर्ट के डबल बेंच के सामने मामला उठाने का अवसर है। हाई कोर्ट के सामने दिल्ली सरकार व अन्य याची अपनी दलील पेश करें। यहां अर्जी खारिज होने से हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर असर नहीं होगा। हाई कोर्ट के आदेश को डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन (डीओई), दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने 6 किस्तों में फीस वसूलने की दी थी छूट
हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार के आदेश को खारिज करते हुए कहा है कि प्राइवेट स्कूल मौजूदा सेशन में दोनों फीस ले सकते हैं। साथ ही, 2020-21 की एनुअल और डिवेलपमेंट फीस वसूल सकते हैं। कोर्ट ने 10 जून से स्टूडेंट्स से छह महीने तक किस्तों में इस फीस को वसूलने की छूट दी है। हालांकि, राजस्थान जजमेंट की तर्ज पर इसमें 15% की छूट देने के लिए भी कहा है। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार और अन्य की ओर से हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की ओर से कहा गया कि पैरेंट्स को राहत देने के लिए जो अधिसूचना सरकार ने जारी की थी, उसे रद्द करने के हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और बाकी याचिकाकर्ता से कहा है कि वह हाई कोर्ट के डबल बेंच के सामने अपनी दलील मेरिट के आधार पर रख सकते हैं।
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