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Faridabad: यहां की अदालत ने आरटीआई एक्टिविस्ट वरुण श्योकंद को न्यायायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। वरुण श्योकंद पर मुजेसर थाने में एक एफआईआर दर्ज है। उन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक ठेका लेने का आरोप है। उन्हें पिछले दिनों सीआईए ने गिरफ्तार किया था।इस मामले में बिजली निगम और वरुण श्योकंद के वकीलों ने लगभग एक घंटे तक बहस की।
बिजली निगम की ओर से दीपक गेरा और वरुण श्योकंद की ओर से लगभग एक दर्जन वकीलों ने बहस की।
किंतु केस में कई संगीन धाराओं के चलते पलड़ा बिजली निगम के हक में रहा।
न्यायधीश नीलम की अदालत ने पहले फैसला कुछ देर के लिए रिजर्व रख लिया। फिर उन्होंने वरुण श्योकंद को न्यायायिक हिरासत में भेजने का निर्णय सुनाया।
वरुण श्योकंद अपनी अग्रिम जमानत करवाने के लिए प्रयासरत थे।
वरुण ऐसे हुए गिरफ्तार
वरुण श्योकंद इसी सिलसिले में चंडीगढ़ गए हुए थे।
यह इनपुट मिलने के बाद फरीदाबाद पुलिस की सीआईए की एक टीम ने वरुण श्योकंद को वहां हिरासत में ले लिया।
पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने मीडिया को बताया कि आरटीआई एक्टिविस्ट वरुण शयोकन्द जालसाजी व धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। उसे क्राइम ब्रांच ऊंचा गांव ने बृहस्पतिवार की सुबह राउंडअप किया था।
प्रवक्ता ने बताया कि पूछताछ के बाद ईओडब्ल्यू सेंट्रल ने अंबाला से गिरफ्तार किया।
अदालत से एक दिन का पुलिस रिमांड
गिरफ्तारी के बाद आरटीआई एक्टिविस्ट वरुण श्योकान्द को फरीदाबाद में माननीय अदालत में पेश किया गया। पुलिस की मांग पर अदालत ने एक दिन का पुलिस रिमांड मंजूर किया है।
यह है एफआईआर
थाना मुजेसर में वरुण शिवकंद पुत्र रणधीर सिंह निवासी 1157 सेक्टर 9 के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 के तहत एफआईआर नंबर 284 दर्ज किया है।
इस एफआईआर रेवाड़ी और मुजेसर के बिजली निगम के अतिरिक्त एक्सईएन कंस्ट्रक्शन बीके रंजन ने दर्ज करवाया है।
बीके रंजन ने अपनी शिकायत में कहा है कि बिजली विभाग में सुधार कार्य के लिए वर्ष 2011 में टैंडर आमंत्रित किए गए थे।
अन्य ठेकेदारों के साथ वरुण श्योकंद ने अपनी फर्म एमएस श्योकंद इलेक्ट्रिकल्स के नाम से इस टैंडर प्रक्रिया में भाग लिया था।
वरुण श्योकंद ने उस वक्त तकनीक और वित्तीय मजबूती के जरूरी दस्तावेज भी साथ लगाए थे।
सबसे कम बोली लगने के चलते वह कार्य उन्हें अलाट कर दिए गए।
कुल 11 वर्क आर्डर श्योकंद की फर्म को अलाट किये गए।
वर्क आर्डर में 73, 39, 436 व 362867 क्रमश: माल आपूर्ति व निर्माण के लिए एलओए जारी कर 90 डीएईएस के भीतर काम पूरा करने का समय निश्चित था।
श्योकंद ने इन टैंडरों को हासिल करने के लिए जो दस्तावेज साथ लगाए थे, जिसमें वित्तीय व तकनीकी दोनों थे।
जांच के दैरान ये दस्तावेज फर्जी पाए गए।
शिकायतकर्ता ने एफआईआर में कहा है कि जब ये दस्तावेज टैंडर के समय साथ लगाए गए थे, तब श्योकंद को अच्छी तरह से मालूम था कि वो फर्जी हैं और वह बोली प्रक्रिया में भाग लेने का हकदार नहीं है।
इसके बावजूद उसने फर्जी दस्तावेज के आधार पर टैंडर हासिल कर लिया।
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