FCN24News,फरीदाबाद: हरियाणा सरकार या केंद्रीय सरकार कोरोना मरीजों के लिये किये गये प्रबंधो को लेकर लाख दावे करे। परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही है। खासकर फरीदाबाद में तो कोरोना पोजीटिव मरीज और उसके परिजनों को कोरोना पोजीटिव घोषित होते ही घर में बंद रहने का स्वास्थय विभाग द्वारा तुगलकी फरमान सुना दिया जाता है इस परिवार के किसी भी सदस्य को किसी भी काम के लिये दरवाजे से बाहर कदम रखने की अनुमति नहीं होती।स्वास्थय विभाग से आये लोगों का काम सिर्फ इतना होता है कि वह एक पंपलेट घर के बाहर चिपकाकर और परिवार वालों से अंडरटेकिंग साईन कराकर ले जाते हैं ।
अब जिस परिवार को घर में आइसोलेट कर दिया है उस परिवार को राशन,दूध,सब्जी, पानी ,दवाई कौन मुहैया करायेगा।
तो स्वास्थय विभाग के लोगों का जवाब होता है कि आप अपने किसी रिश्तेदार को फोन करके बुलाईये वो आपको ये सारा सामान मुहैया करायेगा ।इस परदेश में रिश्तेदार कहां से पैदा करें जो हर रोज राशन पानी मुहैया करा सके। पड़ोसी तो घर के बाहर कोरोना पोजीटिव का पंपलेट घर के बाहर लगते ही सामाजिक बहिष्कार कर देते।
राशन पानी की तो छोड़िए घर का कूड़ा भी ले जाने से मना कर देते हैं।तो अब सरकार बताये कि एक परिवार को घर में कैद करके नारकीय जीवन जीने को मजबूर करने का उन्हें क्या हक है।
और हां इस दौरान स्वास्थय विभाग की तरफ से कोई परीक्षण या दवा वगैरा भी उपलब्ध नहीं कराई जाती।
तीन महीने से लाक डाउन की पीड़ा झेल रहे लोग आर्थिक तौर पर भी टूट चुके हैं घर पर कैद करते हुए उन्हें यह भी पूछ लिया जाना चाहिए कि उस घर में दूध,सब्जी या राशन के लिए पैसे भी है या नही।या यूहीं उन्हे सपरिवार कैद  करके भूखे मरने के लिये छोड़ दिया गया है।क्या स्वास्थय विभाग का फर्ज नहीं बनता की एक मकान में कैद करने से पहले राशन,पानी,दवाई और कूड़ा निस्तारण का इंतजाम करके जाये या इन सब बातों को स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में लाये।इस विषय पर जब हमारे संवाददाता ने उपसिविल सर्जन डा रामभगत और सी एम ओ डा कृष्ण कुमार से संपर्क करना चाहा तो पिछले तीन दिनों से किसी ने भी फोन नहीं उठाया।मेरा हरियाणा सरकार और फरीदाबाद प्रशासन से अनुरोध है कि इस विषय पर तुरंत प्रभाव से संज्ञान लेते हुए कारवाई करें और लोगों को ऐसे नर्क से मुक्ति दिलायें।

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